होली की पावन बेला पर "माता नर्मदा" के वरपुत्र, "तपोभूमि नर्मदा" ग्रन्थ के रचनाकार स्वर्गीय शैलेन्द्रनारायण घोषाल शास्त्रीजी को उनके जन्मदिन पर मेरा सश्रद्ध प्रणाम
गुरूपद में मन कर अर्पण, डालरे धन उनकी झोली में,
लघु होए भार, न डोले तू और भव की डोलती डोली में,
हिसाब के पन्ने उलट-पुलट कर, महाजन लेता सूद कसकर
खरा जो जन है, उस महाजन को रहता क्यों तू भूल-भूलकर
दिन ढलने पर अंटी में पैसा भरता तू गिनगिन कर।
लघु होए भार, न डोले तू और भव की डोलती डोली में,
हिसाब के पन्ने उलट-पुलट कर, महाजन लेता सूद कसकर
खरा जो जन है, उस महाजन को रहता क्यों तू भूल-भूलकर
दिन ढलने पर अंटी में पैसा भरता तू गिनगिन कर।
Most Blessed,
Ananda Mohan Ghosal (only Son)
Debhuti Ghosal (only Grand daughter)